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चारागाह की जमीन पर भी दबंगाई से कब्जा, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दो अधिवक्ता आमने-सामने, मूक दर्शक बना केडीए और जिला प्रशासन।

(दीपक शर्मा)

* कानपुर में अधिवक्ता निभा रहे भूमाफियाओं का किरदार,

* कानपुर के खाड़ेपुर में चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दो अधिवक्ता आमने - सामने।

* कथित भू स्वामी रमेश चन्द्र मिश्रा व पुत्र लल्ला मिश्रा ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे बेची चारागाह की बेसकीमती जमीन।

* वर्तमान में अधिवक्ता राम जी उपाध्याय का सरकारी जमीन पर दबंगई से अवैध कब्जा।

* फर्जी तरीके से रजिस्ट्री व कूटरचित दस्तावेजों के दम पर  चारागाह की जमीन पर कब्जा लेने को तैयार एक पक्ष, वहीं दूसरा भी दिखा रहा कथित स्वामित्व के प्रमाण और मौके पर दबंगाई से जमीन पर काबिज।

* चारागाह व ग्रामसमाज की जमीनें कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में निहित।

* शिकायत के बावजूद प्राधिकरण द्वारा नही की गई किसी पर कार्यवाही और न ही अब तक खाली कराया गया अवैध कब्जा।


कानपुर ।। कानपुर में सरकारी ज़मीनों पर कब्जे और उनकी खरीद फरोख्त कोई नई बात नहीं पर क्या हो जब कानून के रखवाले ही गैर कानूनी तरीको और दबंगई से जमीनों पर कब्जे करने लगे। कुछ ऐसा ही हो रहा है कानपुर नौबस्ता के खाड़ेपुर में जहाँ सरकारी चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर दो अधिवक्ता आमने सामने खड़े हो गए हैं।


नौबस्ता के खाड़ेपुर की आराजी संख्या 52 जो कि ग्राम समाज चारागाह के रूप में सरकारी खाते के रूप में दर्ज है। इस भूमि को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पनकी निवासी रमेश चन्द्र मिश्रा पुत्र सोने लाल मिश्रा और उसके बेटे लल्ला मिश्रा ने कौड़ियों के भाव बर्रा के अधिवक्ता व ढाबा संचालक जयकरन सिंह की पत्नी पुष्पा देवी को बेच दी। जमीन सरकारी चारागाह होने की जानकारी के बावजूद जयकरन ने करोड़ों की सरकारी संम्पत्ति को चालीस लाख में अपनी पत्नी पुष्पा के नाम खरीद ली। पर चारागाह की सरकारी जमीन पर पहले से ही राम जी उपाध्यक्ष नामक एक दूसरे अधिवक्ता का अवैध कब्जा है जो सरकारी भूमि पर स्वामित्व के कथित दस्तावेज होने का दावा कर रहा है। 
मामले की जांच पड़ताल में पनकी के रमेश चन्द्र मिश्रा ने बताया कि उसने जयकरन को सरकारी जमीन बेची है पर जयकरन ने अब तक उसको पूरी रकम नहीं दी । रमेश चन्द्र के बेटे लल्ला ने ये भी बताया कि जयकरन को जमीन के सरकारी होने का पता थी और राम जी उपाध्याय द्वारा प्लाट पर कब्जे की भी जानकारी थी जिसे जयकरन साम दाम दण्ड भेद से खाली कराने का प्रयास भी कर रहा है वहीं राम जी उपाध्याय भीकरोड़ों की सरकारी जमीन को छोड़ने के मूड में नहीं है और राम जी उपाध्याय समेत कई अन्य अधिवक्ता भी सरकारी भूमि पर कब्जे के संरक्षक बने हुए हैं।


मामले की शिकायत केडीए प्रशासन से भी की गई पर केडीए ने अब तक न ही अवैध कब्जे को हटाने के लिए या किसी भी जालसाज़ी के लिए किसी पक्ष पर कोई कार्यवाई ही कि जिससे साफ है की प्राधिकरण को चारागाह की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे या उसकी खरीद फरोख्त से कोई सरोकार नहीं है पर शायद विभाग की ये लापरवाही अधिवक्ताओं के इस जमीनी विवाद को जल्द ही कोई आपराधिक रूप जरूर दे देगी।

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