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बिक गए विवेचक,कानपुर कमिश्नरेट पुलिस का हाल देखिए

कानपुर- बिक गए विवेचक,कानपुर कमिश्नरेट पुलिस का हाल देखिए कथित दरोगा धीरज शर्मा और अभियुक्त दुर्गा प्रसाद जायसवाल के बीच वार्ता का ऑर्डियों हुआ वायरल जेल चौकी प्रभारी और क्राइम नंबर 300/23 के आरोपी का बताया जा रहा ऑर्डियों वायरल ऑर्डियों खोल रहा विवेचना का गंदा खेल पीड़ित हो जाए सावधान,ईमान बेचकर विवेचक कर रहे अन्याय अभियुक्त को बना रहे निर्दोष और निर्दोष को बना रहे अभियुक्त कानपुर कोतवाली अंतर्गत आने वाली जेल पुलिस चौकी के प्रभारी और अभियुक्त के मध्य लेन-देन की वार्ता का एक ऑर्डियों शोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसकी जांच होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि मामला गंभीर प्रकृति के मुक़दमे की विवेचना अर्थार्त न्याय से जुडा हुआ है। जानकारी के अनुसार कानपुर कोतवाली में बिजेंद्र प्रकाश रस्तोगी द्वारा अपराध संख्या 300/23 दर्ज कराया गया था जिसमें दुर्गा प्रसाद जायसवाल सहित अन्य अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 420,467,468,406,448,471,120B के तहत आरोपी बनाया गया था वर्तमान समय में उक्त मुक़दमे की विवेचना कानपुर जेल पुलिस चौकी के प्रभारी धीरज शर्मा के द्वारा की जा रही थी मुक़दमे के आरोपियों को गंभीर प्रकृति के अपराध से छुटकारा दिलाने के लिए अर्थार्त मुक़दमे में दोषमुक्त या फ़िर बड़ी राहत देने के नाम पर डील फिक्स हुई थी यह डील एक मीडिएटर के माध्यम से की गई। वायरल ऑर्डियों में मीडिएटर, दरोगा धीरज शर्मा और अभियुक्त दुर्गा प्रसाद जायसवाल से एक लाख रुपयों के लेनदेन की वार्ता हो रही है जिसमें विवेचक का कथन है कि मुझे पैसा नहीं मिला है तभी अभियुक्त कहता है कि मैं पैसा लेकर आपको दूंगा। इसी मध्य मीडिएटर कह रहा है कि आप डायरेक्ट पैसा लेकर साहब को दीजिए आकर। वायरल ऑर्डियों ने जहां एक बार फ़िर से पुलिसिया विवेचना को कठघरे में खड़ा कर दिया है तो वही अक्सर देखा जा रहा है कि मुक़दमे की विवेचना करने वाले विवेचक अपने निजी लाभ के लिए अभियुक्त को निर्दोष और निर्दोष को आरोपी बना देते हैं अगर इस कृत्य को पुलिसिया धंधा कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा क्योंकि पीड़ित को न्याय दिलाने वाली प्रथम सीढी अक्सर भारी भरकम नोटों के वजन से अपना ईमान खो बैठती है।

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