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"कानपुर पुलिस के "बैड मैनेजर"

"कानपुर पुलिस के "बैड मैनेजर"

:- कार्यवाही करने के बजाये बन जाते हैं मैनेजर,

:- मामला मैनेज करो नही तो अजब-गजब जांच रिपोर्ट झेलो,

:- आप भी पढ़ लीजिये मैनेजर साहब के मातहतों की करतूत।






कानपुर के नव आगन्तुक कप्तान दिनेश कुमार पी भले ही थानों की ख़ाक फांककर अपने मातहतों को निष्पक्ष कार्यवाही करने का पाठ पढ़ा रहे हो लेकिन कानपुर पुलिस में बहुतेरे ऐसे मातहत अधिकारी हैं जो नियमानुसार कार्यवाही करने के बजाये "बैड मैनेजर" की भूमिका निभा रहे हैं।

कानपुर साउथ के क़िदवई नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत संजय वन रोड पर दिनांक 16 जून 2020 को मकान मालिक और किरायेदार के मध्य कुछ विवाद हो गया था विवाद की सूचना पर रिपोर्टिंग करने गये पत्रकारों के साथ मकान मालिक सुनील मिश्रा,मनोज गुप्ता और उनके साथ आये गुर्गों ने मारपीट की। दबंगों की गुंडई का शिकार हुये पत्रकारों ने सम्बंधित क़िदवई नगर थाने में लिखित तहरीर देकर दबंगों पर कार्यवाही की अपेक्षा की थी पीड़ित पत्रकारों की तहरीर पर कार्यवाही न होने पर क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा आलोक कुमार से संपर्क किया गया तो तीन दिनों तक अलग - अलग समय पर जवाब (वर्जन) देने के बजाये अपने किसी नामराशि मातहत को आलोक.....आलोक.....आलोक ही पुकारते रहे या फिर यू कहे कि मैनेजर साहब जवाब देने में असमर्थ नज़र आये। 

"बैड मैनेजर साहब" के मातहतों की लिखित करतूत :-

कानपुर पुलिस के मैनेजर साहब के मातहत भी उन्ही की तरह खुली आँखों में मिर्च झोंकते हैं और जांच के नाम पर ऐसी रिपोर्ट पेश करते हैं जैसे किसी ज़ाहिल को क़लम और कोरी कॉपी थमा दी गयी हो। और उसके गुरु जी ने 100 में 200 नम्बर दे दिये हो।


मीडिया ब्रेक आपके सामने पुलिसिया मैनेजर साहिबान और उनके मातहतों की करतूत उज़ागर करने के लिये उनके द्वारा पेश की गईं अलग-अलग  जांच रिपोर्ट एक-एक कर पेश कर रहा है जिसकों पढ़कर आप भी समझ जायेंगे कि कानपुर पुलिस के मैनेजर साहब कितने न्याय प्रिय हैं और ज़िले की जनता के साथ वह किस तरह से न्याय करते होंगे।










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