"कोरोना से लड़ने वाले रियल योद्धाओं का सम्मान"
:- ये हैं कोरोना से लड़ने वाले रियल योद्धा,
:- न पक्की नौकरी न कोई विशेष सुविधा,
:-निहत्थे ही लड़ते रहे अदृश्य कोरोना से,
:- ज़िले में फसे मजदूरों को पहुचाते रहे उनके गृह जनपद ।
कोरोना महामारी के दौरान लगाये गये लॉक डाउन के बाद मिली छूट में सैकड़ों की तादात में कोरोना योद्धा बन कर अपना सम्मान कराने वालों की तस्वीरें सोशल मीडिया में तैरती नज़र आने लगी। इन तस्वीरों में बहुतेरे नौकरशाह थे जो सरकार से मोटी तनख्वाह,सरकारी वाहन व ईंधन सहित अन्य बेहतरीन सेवायें ले रहे थे लेकिन दिहाड़ी मजदूरो की तरह बिना किसी विशेष सुविधा के ही मज़लूम दिहाड़ी मजदूरो का दर्द समझकर उनकी सेवा में लगे होमगार्डों का कानपुर में सम्मान किया गया। आपको बताते चले कि कोरोना लॉक डाउन के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलो में फसे मजदूर परिवारों को रोडवेज बस के माध्यम से उनके गृह जनपद पहुचाने का निर्णय लिया था जिसकी व्यवस्थायें ज़िला प्रशासन को करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी कानपुर ज़िला प्रशासन ने मजदूरों को उनके जनपद तक पहुचाने के लिये प्रत्येक रोडवेज बस में सिर्फ और सिर्फ एक होमगार्ड की ड्यूटी लगायी थी इस ड्यूटी में कोई भी पुलिस सेवा से जुड़ा कर्मी तैनात नही किया गया था जबकि यह बसे उन जनपदों में भी जा रही थी जहा अदृश्य कोरोना मुह फैलाये खड़ा था जिसको चलते होमगार्डों में पुलिस विभाग के प्रति रोष भी था लेकिन फिर भी होमगार्डों ने अपना फर्ज बखूबी निभाया जिसके चलते होमगार्ड डीआईजी एस०के० शुक्ला ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाया।
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