- कानपुर पुलिस का एक और कारनामा,
- मुक़दमे की विवेचना में मुर्दे ने दी गवाही,
- मुकदमा विवेचक ने दर्ज किये मुर्दे के बयान,
- मुर्दे के बयान पर आरोपियों को छेड़-छाड़ की धारा से मिली मुक्ती,
- विवेचक ने ज़मीर बेचा या हक़ीक़त में मुर्दे ने दी गवाही ??
- देखिये मीडिया ब्रेक पर एक और बड़ा खुलासा।
उत्तर प्रदेश पुलिस के कुख्यात कारनामें जग ज़ाहिर है लेकिन आज हम आपको एक ऐसा कारनामा बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको यकीन हो जायेगा कि उत्तर प्रदेश में कानून के हांथ यमराज से भी लंबे हो चुके हैं जिसके चलते अब उत्तर प्रदेश को सिर्फ़ जिंदा व्यक्ति ही नही बल्कि मुर्दे भी गवाही देने लगे हैं।
कानपुर महानगर के नौबस्ता थाने शोहदों से तंग आ चुकी एक युवती ने एफआईआर दर्ज करायी थी जिसकी विवेचना थाना नौबस्ता अंतर्गत आने वाली आवास विकास पुलिस चौकी के होनहार प्रभारी सुभाष चंद्र के द्वारा प्रारंभ की गई। मुक़दमे की विवेचना कर रहे सब स्पेक्टर सुभाष चंद्र ने बहुतरे चश्मदीद गवाहों के बयान विवेचना में दर्ज कर यह साबित कर दिया किया कि पीड़िता ने झूठा छेड़छाड़ का मुक़दमा दर्ज कराया है और अपने द्वारा की गई अति निष्पक्ष विवेचना का आरोप पत्र नौबस्ता थाना प्रभारी से सीन कराते हुये माननीय न्यायालय को प्रेषित कर दिया जिसे माननीय न्यायालय ने स्वीकार भी कर लिया।
समझिये निष्पक्ष विवेचना का खेल:-
नौबस्ता थाने में दर्ज अपराध संख्या 0175/2020 की विवेचना कर रहे होनहार सब स्पेक्टर सुभाष चंद्र ने अपनी विवेचना के पर्चा नम्बर 8 पर स्वतंत्र गवाह के रूप में चांदतारा पत्नी मुन्ना का बयान बतौर गवाह दर्ज किया है आपको जानकर हैरानी होगी कि चाँदतारा की मृत्यु मुकदमा दर्ज होने से लगभग 8 माह पहले हो चुकी थी जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र आपके सामने है।
पीड़ित युवती की मानें तो सब स्पेक्टर सुभाष चंद्र ने जानबूझकर आरोपियों को बचाने के लिये पूरा सडयंत्र रचा है और जब मैंने सभी साक्ष्यो के साथ उच्च पुलिसिया अधिकारियों से शिकायत की तो जबरन समझौते का दबाव बनाया जा रहा है।
"सबसे ख़ास बात तो यह है कि जहां उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं वही उनके ही सूबे की पुलिस छेड़छाड़ जैसे गंभीर प्रकरण में भी खेल करने से नही चूकती। इससे भी ज्यादा गंभीर सवाल तो यह है कि जिस चौकी प्रभारी सुभाष चन्द्र ने अपनी घटिया करतूत से पूरे पुलिसिया सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया वह अब भी चौकी प्रभारी की कुर्सी पर जमा बैठा है"।
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