*मूसलाधार बारिश में बढ़ा खतरा*
*मौत के खंडहर में नवनिहालो का भविष्य*
*मौत के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं नवनिहाल*
*जिम्मेदारों को सिर्फ़ अपनी कुर्सी की चिंता*
*साहब ! अपने बच्चों को भी इसी स्कूल में पढ़ाइए*
उत्तर प्रदेश में हर तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसका प्रयास लगातार उत्तर प्रदेश सरकार करती नजर आ रही है लेकिन उन्हीं प्रयासों पर कानपुर शिक्षा विभाग के अधिकारी वा जिला प्रशासन पलीता लगाने पर तुले हुआ है हम यूं ही नहीं कह रहे इसका जीता जागता उदाहरण कानपुर के जूही गढ़ा स्थित जीपीजी हायर सेकेंडरी स्कूल में देखने को मिल जाएगा जहां देश का भविष्य मौत के साए में पढ़ने को मजबूर दिखाई पड़ रहा है क्योंकि इन की जान की फिक्र ना तो शिक्षा विभाग को है ना ही कानपुर जिला प्रशासन को । आज से लगभग 1 साल पहले जीपीजी विद्यालय की इसी दुर्दशा की खबर का मुद्दा उठा था जिसके बाद कानपुर जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश तिवारी ने तत्काल आदेश करते हुए इस विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिए थे लेकिन उन आदेशों का कितना पालन हुआ ये तो आप समझ ही गए होंगे। आज 1 साल बाद भी विद्यालय उसी दशा में संचालित हो रहा है स्कूल के कार्यवाहक प्रिंसिपल जितेंद्र गौतम से बात करने पर पता चला कि साल भर पहले साहब द्वारा जो आदेश बच्चों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का दिया तो गया था लेकिन सिर्फ कागजों में, जिस कारण से बच्चे इसी मौत की इमारत में अब भी पढ़ने को मजबूर हैं अब बड़ा सवाल यह उठता है की मौत की इमारत में पढ़ते बच्चे अगर किसी बड़े हादसे का शिकार हो जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ??
जब इस मामले को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश तिवारी से बात की तो उनका पुनः वही रटा रटाया बयान था कि अधिकारियों को भेजकर स्कूल की दशा की जांच कर बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा यही बात जिला विद्यालय निरीक्षक साहब ने 1 साल पहले भी दोहराई थी नतीजा आप सबके सामने है।
आपको बताते चले कि यह विद्यालय किदवई नगर विधानसभा अंतर्गत आता है जहा से विधायक रिपीट होकर महेश त्रिवेदी बने हैं। क्षेत्रीय विधायक और जनता के सेवक होने के नाते उनकी भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि यदि उनके क्षेत्र में कोई समस्या हल करने में जिम्मेदार अधिकारी कोताही बरत रहे हैं तो वह सीधे शासन स्तर पर मामले को हल कराए।
*"सवाल कड़वा पर सटीक है कि यदि हमारे अपने बच्चें ऐसे खंडहर बन चुके स्कूल में पढ़ रहे होते तो भी हम ऐसे ही पल्ला झाड़ते,शायद नहीं"।।*
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