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लाखो का भ्रस्टाचार, शिकायतकर्ता हुआ लाचार

लाखो का भ्रस्टाचार, शिकायतकर्ता हुआ लाचार -कानपुर देहात मे भ्रष्टाचारियों ने भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को ही शर्मसार कर दिया है भ्रष्टाचार ऐसा जो देखने और सुनने में भी लोगों को चौंका दें भ्रष्टाचार ऐसा कि बिना काम किए ही दो-दो बार कई-कई लाखो रुपए निकालकर बंदरबांट कर लिए गए भ्रष्टाचार ऐसा कि बिना काम के ही 5000000 की मोटी रकम एक फर्म के नाम ट्रांसफर कर दी गई जब मामले की शिकायत हुई तो हरकत में आया विभाग हरकत में आया वह भ्रष्टाचारी जो इस पूरी पराकाष्ठा की जीव है और 2800000 रुपए फिर से सरकारी कोर्ट में वापस किए यानी कि मामला खुलते देख कार्यवाही का डर सताने लगा मामला जनपद कानपुर देहात के संदलपुर ब्लॉक के कौरु गांव का है जहां पर संदलपुर ब्लॉक से बिरहाना जाने वाली मुख्य रोड से कौरु गांव जाने वाली एक सड़क का निर्माण होना था वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्षेत्र पंचायत सदस्य रहे राहुल तिवारी उर्फ मीनू ने अपने फर्म के नाम उस सड़क पर खड़ंजा का निर्माण कार्य बिना कराए ही ₹400000 डकार लिए वही वित्तीय वर्ष 2020-21 में ब्लाक प्रमुख बन जाने के बाद उसी सड़क के नाम पर राहुल तिवारी उर्फ मीनू ने ₹400000 पुनः बिना काम कराए फिर से डकार लिए मामले की शिकायत हुई तो आनन-फानन में काम की शुरुआत की जाने लगी लेकिन गांव के ग्रामीण और शिकायतकर्ता ने इस पूरे काम पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया इस दरमियान एक और कारनामा हुआ जिसमें ब्लॉक प्रमुख राहुल तिवारी उर्फ मीनू और उसकी पत्नी के नाम पर बनी 2 फर्मो के नाम 5000000 रुपए की मोटी रकम ट्रांसफर की गई दस्तावेजों के माध्यम से जानकारी शिकायतकर्ता और ग्रामीणों को हुई तो उन्होंने इस पूरे मामले को उठाना शुरू कर दिया जिसके बाद ब्लॉक प्रमुख और उसकी पत्नी के नाम बनी फर्म से 2800000 रुपए पुनः सरकारी कोस में वापस किया गया और वापस की गई इस मोटी रकम ने राहुल तिवारी उर्फ मीनू के भ्रष्टाचार की पोल खोल दी और उन्हें गुनहगार साबित कर दिया लेकिन अब तक उन पर कार्यवाही नहीं हुई है इस पूरे मामले में सदलपुर ब्लॉक में तैनात वीडियो को निलंबित कर दिया गया अन्य छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही की गई लेकिन यह कारवाही महज खाना पूर्ति थी इस पूरे प्रकरण की जांच जिले के विकास भवन में तैनात डीसी मनरेगा हरिश्चंद्र को सौंपी गई लेकिन जांच अधिकारी का नाम सामने आने पर एक सवाल फिर खड़ा होता है क्योंकि जिनको इस पूरे मामले की जांच सौंपी गई है वो डीसी मनरेगा हरिश्चंद्र है और वह वह वित्तीय वर्ष 2019-20 में संदलपुर ब्लाक मैं तैनात तत्कालीन बीडियो थे जिनके समय में पहले भी एक बार बिना काम कराए ही ₹400000 डकारे गए थे भ्रष्टाचार में संलिप्त डीसी मनरेगा हरिश्चंद्र को ही जांच सौंपी गई है पीड़ित और ग्रामीणों को इस बात का डर सता रहा है कि जो इस पूरे खेल में शामिल रहा होगा वो जांच किस तरह से करेगा कितनी सच्चाई सामने आएगी और कितनी कारवाही भ्रष्टाचारियों पर होगी जबकि इस पूरे मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर बीडियो ब्लॉक में तैनात बाबू ब्लाक प्रमुख शामिल है पीड़ित ने इस पूरे मामले की शिकायत जिले के जिम्मेदार मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पाण्डेय और जिला अधिकारी नेहा जैन से की लेकिन जब कार्रवाई होती नजर ना आई तो पीड़ित शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया अब देखना यह होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम करने का दावा कर रही है वही जिले में तैनात अधिकारी और जनप्रतिनिधि किस तरह से सरकारी धन का बंदरबांट कर रहे हैं और भ्रष्टाचार फैला रहे हैं यानी कि साफ तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की मुहिम को असफल करने में लगे हैं और जनता के बीच सरकार का विश्वास खत्म कराने मिलते हैं वही इस पूरे मामले को लेकर जांच अधिकारी नामित किए गए डीसी मनरेगा हरिश्चंद्र से मुलाकात की और उनसे इस पूरे मामले में सवाल किए तो वह है कैमरे के सामने आने को ही तैयार नहीं थे आप भी तस्वीरों में देखिए किस तरह से टालमटोल कर बहानेबाजी कर रहे हैं और तरह-तरह की दलीलें देकर बचने का प्रयास कर रहे हैं वह कभी कहते हैं जांच मिलेगी तो बताएंगे कभी कहते हैं व्हाट्सएप के माध्यम से जांच मिली है तो कहीं हाईकोर्ट का हवाला दे रहे हैं लेकिन जब हमने कैमरा चलाना शुरु किया तो सच्चाई सामने आ गई और डीसी मनरेगा जो इस पूरे मामले के जांच अधिकारी हैं उन्होंने कैमरे पर बोला कि शिकायतकर्ता पीड़ित अजय कुमार उनके पास आया था और उन्हें जांच मिली है जांच की जा रही है जो भी तथ्य सामने आएंगे उस पर कार्रवाई होगी वही इस पूरे मामले को लेकर जब हमने मुख्यविकास अधिकारी सौम्या पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि संदलपुर विकास खंड में मनरेगा से संबंधित 28 लाख रुपए का भुगतान किया गया था जबकि वह कार्य जमीनी स्तर पर नहीं हुआ है।जैसे इस पूरे मामले की जानकारी हुई तो संबंधित अधिकारी को पूरे मामले की जांच दे दी गई। साथ ही मनरेगा कार्य में दिखाए गए 28 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है। वही अब जो भी इस कार्य में दोषी पाए जाएंगे उन पर भी विभागीय कार्यवाही के साथ ही कार्यवाही भी की जाएंगी। तमाम तस्वीर और अधिकारियों की टालमटोली देखने पर एक बात तो साबित हो गई है कि इस पूरे भ्रष्टाचार की कड़ी बहुत लंबी है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर अब तक इस पूरे षडयंत्र का खुलासा न हो सका और ना तो संबंधित आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही अब शिकायतकर्ता की उम्मीद हाई कोर्ट बची है किस तरह की कार्रवाई होती है और किस तरह की नसीहत जिले में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पेश की जाती है यह देखने वाली बात होगी

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