Breaking News

header ads

हाज़ी मुस्ताक सोलंकी की विरासत का सच जानिए

कानपुर:- हाज़ी मुस्ताक सोलंकी की विरासत का सच जानिए सोलंकी भाइयों ने मेहनत मजदूरी कर जमाई थी सल्तनत हाजी मुस्ताक सोलंकी और इक़बाल सोलंकी की है यह कहानी हाजी मुस्ताक और इक़बाल सोलंकी ने पल्लेदारी कर लिखी थी सफलता की इबादत चमड़ा मजदूर से चमड़ा कारोबारी और फिर विधायक बने हाजी मुस्ताक सोलंकी राजनीति में कदम रखने पर नामचीन अपराधियों से भी बन गए थे संबंध हाजी मुस्ताक को जनता मानने लगी थी अपना रहनुमा हाजी मुस्ताक के निधन के बाद इरफ़ान सोलंकी को मिली विरासत पापा कहते है बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा,,, लेकिन हमारी कहानी में उल्टा हुआ पापा ने काम कर के नाम किया पर बेटे ने उस नाम को बदनाम किया । जी हां, हम बात कर रहे है यूपी के उस विधायक की जिसका विवादों से नाता रहा है नाम इरफ़ान सोलंकी समाजवादी पार्टी से सीसामऊ विधान सभा सीट से विधायक जिनको सत्ता के सुख से लेकर करोडो की सम्पत्ति विरासत में मिली। लेकिन पिता के नाम पर मिली विरासत को इरफ़न संभाल न सके ..... सुनिए आखिर कैसे शहर में आये थे हाजी मुस्ताख़ सोलंकी । शहर के जानकार पत्रकार मोहम्मद उजैर ने बताया की 80 के दसक में हाजी मुस्ताक सोलंकी अपने बड़े भाई इक़बाल सोलंकी के साथ कानपुर आए थे और रोजी रोटी की जुगत में वह नई सड़क स्थित पेंच बाग में मजदूरी करते थे उस दौर में कानपुर में बड़े पैमाने पर चमड़े का कारोबार होता था,, नमक लगे चमड़े के लिए मजदूर मिलना मुश्किल होता था,,, तो हाजी मुस्ताख़ सोलंकी और उनके बड़े भाई हाजी इकबाल सोलंकी वो चमड़ा उतारने का काम करते थे.दो वक़्त की रोजी रोटी के लिए मजदूरी करने वाले हाजी मुस्ताख़ सोलंकी की किस्मत दिन प्रति दिन चमकी और भैंस की पूंछ के बाल को ब्रश बनाने वाली फैक्ट्रियों को सप्लाई कर अच्छा पैसा कमाने लगे,, कहते है न की हिम्मते मर्दा तो मद्दे खुदा फिर क्या देखते ही देखते 20 से 25 रूपये की मजदूरी करने वाले मजदूर ने अपनी खुद की टेनरी खोल ली,,,, जिसका नाम था नागौर टेनरी यहाँ से व्यापार के साथ साथ गरीबो की मदद करना हाजी ने शुरू किया. 1992 में पहले लोगो ने हाजी मुस्ताख़ सोलंकी को पार्षदी लड़ने का मन बनाया लेकिन किन्ही कारणों से वो चुनाव नहीं लड़े ,,,, इसके बाद 1993 में पहली बार सपा और बीएसपी गठबनधन में शहर की सीसामऊ विधानसभा सीट से हाजी मुस्ताख़ सोलंकी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की फिर क्या राजनीति में अपना कद बढ़ाते हुए वह सपा सुप्रीमों रहे मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी हो गए थे जब कभी मुलायम शहर आते तो वह सीधे हाजी मुस्ताक के घर पहुंच जाते। विधायक हाजी मुस्ताक ने कमीशनखोरी का विरोध किया और जनहित कार्यो को करना शुरू किया.. हाजी मुस्ताख़ सोलंकी के समर्थक सिर्फ मुस्लिम धर्म के ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग थे,, हालत ये थे की सिर्फ सीसामऊ विधानसभा ही नहीं बल्कि शहर की किसी भी विधानसभा से जनता आती थी तो उसकी फरियाद पूरी होती थी एक समय तो ऐसा आया की जब जनता कहने लगी कि जो भी सोलंकी के पास फरियाद लेकर गया वह खाली हांथ वापस नही आया। हाजी मुस्ताक सोलंकी जहा राजनीति में पकड़ बढ़ा रहे थे तो वही इक़बाल सोलंकी चमड़े के व्यापार को दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार दे रहे थे लेकिन इसी मध्य वर्ष 2006 में एक समय ऐसा आया जब कि हाजी मुस्ताक सोलंकी ने आपको अलविदा कह दिया। हाजी मुस्ताक सोलंकी के गुजरने की ख़बर जैसे जैसे लोगो तक पहुंच रही थी वैसे वैसे अपने चहेते नेता हाजी मुस्ताक सोलंकी के अंतिम दर्शन या फिर यू कहें की उनके जनाजे में शामिल होने के लिए लोग बढ़ते चले जा रहे थे हाजी मुस्ताक सोलंकी की लोक प्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके जनाजे में एक लाख से भी ज्यादा लोग शरीक हुए थे शायद यह कानपुर के इतिहास में अब तक नहीं हुआ है। हाजी मुस्ताक सोलंकी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी यूं तो जनता उनके बड़े भाई इक़बाल सोलंकी उर्फ़ बड़े हाजी को मान रही थी लेकिन जानकार मानते हैं कि इकबाल सोलंकी ने ही मरहूम हाजी मुस्ताक सोलंकी के बड़े बेटे इरफ़ान सोलंकी के नाम का प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया। पिता हाजी मुस्ताक की शौहरत और जनता का उनके प्रति लगाओ इरफ़ान के लिए वरदान बन गया और वह बिना किसी जद्दोजहद के समाजवादी पार्टी से विधायक बन गए। बढ़ते समय के साथ विरासत में मिली गद्दी का नशा इरफ़ान सोलंकी के सर चढ़ चुका था कभी इरफ़न पब्लिक से भिड़े तो कभी प्रशासनिक अफसरों से। सिर्फ इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज के छात्रों से उनका विवाद हुआ जिसने उनकी खूब किरकिरी कराई। विवाद दर विवाद अब इरफ़ान का नाम विवादित विधायकों में शुमार हो चला था लेकिन पिता हाजी मुस्ताक सोलंकी से नाम जुड़ा होने के कारण मोदी लहर भी इरफ़ान सोलंकी की जीत को रोक न सकी वह योगी लहर को भी पीछे छोड़ते हुए आज भी सीसामऊ विधानसभा से विधायक हैं। वर्तमान समय में प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ हैं और उनकी नज़र से इरफ़ान और इरफ़न के कारनामे अछूते नहीं रह सके फिलहाल इरफान विधायक होते हुए भी महराजगंज जेल में हैं आगे की कहानी के लिए देखते रहिए मीडिया ब्रेक।

Post a Comment

0 Comments