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हाईकोर्ट के फरमान पर कानपुर कमिश्नर-DM की कागजी खाना-पूर्ति



:- गहराते जल संकट पर लापरवाही क्यों ?

:- तालाबों पर संजीदा नहीं कानपुर कमिश्नर – जिला अधिकारी,

:- सिर्फ कागजी आदेश कब तक जारी करेंगे,कानपुर कमिश्नर – जिला अधिकारी,

:- तालाबों पर कब्जा करने वाले सरकारी महकमों पर कार्यवाही कब?




कानपुर महानगर का सबसे बड़ा तालाब उर्फ़ वाटर वर्क्स सरकारी भूमाफियाओं के कब्जे में है सरकारी महकमों ने अपने दायित्यों के विरुद्ध अपनी सुविधा के अनुसार वाटर वर्क्स को समाप्त कर अपने कंक्रीट के महल खड़े कर लिये हैं जबकि सरकारी महकमे की यह काली करतूत महायोजना प्लान 2021 मैप के अवलोकन से सार्वजनिक है कानपुर महायोजना प्लान 2021 में आज भी मोतीझील स्थित लाजपत भवन,KDA उपाध्यक्ष बंगला,नगर निगम गेस्ट हाउस सहित अन्य आस पास की बहुतेरी कंक्रीट इमारतों का जिक्र नहीं है बल्कि इन अवैध इमारतों के स्थान पर वाटर वर्क्स (मोतीझील तालाब) दर्ज और प्रदर्शित है सबसे ख़ास बात तो यह है कि महायोजना प्लान में कानपुर के कमिश्नर, जिला अधिकारी, नगर नियोजक सहित समस्त जिम्मेदार अधिकारी अपने हस्ताक्षर कर इसे स्वीकार भी कर चुके है या फिर यू कहे कि जिम्मेदार अधिकारी अपने सह अधिकारियों द्वारा वाटर वर्क्स के अस्तित्व को समाप्त कर अवैध निर्माण को स्वीकार कर चुके हैं|



कानपुर कमिश्नर – जिला अधिकारी के कागजी फरमान:-

कानपुर मंडल के कमिश्नर डॉ  सुधीर एम बोबडे के निर्देशानुसार जिला अधिकारी विजय विश्वास पन्त ने बीते 9 दिसंबर को कानपुर विकास प्राधिकरण सहित समस्त तहसीलदारों को पत्र जारीकर एक सप्ताह के अन्दर सार्वजनिक उपयोग की भूमियों को कब्जामुक्त कराते हुये आख्या प्रस्तुत कराने का फरमान जारी किया था लेकिन जिला अधिकारी विजय विश्वास पन्त के द्वारा दिनांक 9 दिसम्बर 2019 को जारी आदेश मात्र कागजी खाना पूर्ती के शिवाय कुछ भी नही है क्योकि कानपुर विकास प्राधिकरण सहित अन्य तहसीलदारों को अब तक यह भी ज्ञात नही कि उनकी सीमा अंतर्गत कितने तालाबों पर प्राइवेट लोगों द्वारा कब्जा किया गया है और कितने तालाबों पर कानपुर विकास प्राधिकरण जैसे विभागों ने अपनी आवासीय योजनायें बनाकर आम जनता को रजिस्ट्री के माध्यम से विक्रय कर तालाबों की भूमि समाप्त की जा चुकी है ऐसे में जिला अधिकारी का आदेश सिर्फ दिखावा मात्र ही कहा जायेगा|


शीर्ष एवं उच्च न्यायालय की अवमानना :- जिला अधिकारी विजय विश्वास पन्त के द्वारा जारी ताज़ा आदेश उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के क्रम में है जिसमे स्पष्ट आदेश है कि 3 माह के अन्दर तालाबों सहित अन्य सार्वजनिक भूमियों को उनके वास्तविक स्वरुप में स्थापित किया जाये लेकिन कानपुर में माननीय न्यायालय के आदेश पर सिर्फ और सिर्फ कागजी कार्यवाही की जा रही है जमीनी हकीकत में उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन “0” है |

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