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"आखिर क्यों न हो कानपुर पुलिस की फ़जीहत"?

"आखिर क्यों न हो कानपुर पुलिस की फ़जीहत"

:- कानपुर पुलिस का कारनामा ट्रक का काटा जबरन चालान,

:- नेशनल परमिट और सहयोगी ड्राइवर न होने पर काटा चालान,

:- ट्रक ड्राइवर के पास नेशनल परमिट और डबल ड्राइवर है मौजूद,

:- सुविधा शुल्क न देने पर की कार्यवाही-परदेशी ड्राइवर हलकान,

:- क़िदवई नगर के चर्चित दरोगा आलोक तिवारी का कारनामा।


एक तरफ कोरोना महामारी के चलते जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए माल वाहक वाहनों को बिना अवरोध चलाने की अनुमति उत्तर प्रदेश शासन ने दी है लेकिन वही सड़क पर चलने वाले भार वाहनों को बहुतेरी समस्याओ से रूबरू होना पड़ रहा है।

 गोरखपुर से खाली ट्रक भाड़ा लादने कानपुर पहुचे संजय कुमार ने क़िदवई नगर थाने के चर्चित दरोगा आलोक तिवारी पर आरोप लगाते हुये बताया कि उनके ट्रक में समस्त दस्तावेज मौजूद थे जिसे जांच के लिये दरोगा आलोक तिवारी के मांगने पर दे दिया परंतु दरोगा आलोक तिवारी ने लॉक डाउन में माल लोडिंग को गैरकानूनी बताते हुए सुविधा शुल्क की मांग की जो कि मैं तत्काल देने में असमर्थ था जिसके चलते दरोगा आलोक तिवारी ने मेरे ट्रक का नेशनल परमिट अपने पास रखते हुये ट्रक का जबरन चालान काटते हुये ट्रक की आरसी अपने पास रख ली। अब ट्रक ड्राइवर अपना चालान छुड़ाना चाहता है लेकिन चर्चित दरोगा को वह भी मंजूर नही ।

ट्रक ड्राइवर के साथ विडम्बना यह है कि उसे भाड़ा लोडकर अब गोरखपुर वापस जाना है लेकिन फर्जी चालान की वजह से अब परेशान होकर दर-बदर भटकने को मजबूर है ।

आलोक तिवारी जैसे सिपहसालारों की वजह से ही कानपुर पुलिस की फ़जीहत होती है लेकिन जब इन जैसे मामलों को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाता है तो अमीर-गरीब की तरह छोटा-बड़ा बताकर मामलें को टालने का प्रयास किया जाता है शायद इसी वजह से संजय जैसे ट्रक ड्राइवर प्रशासन को कोसते नज़र आते हैं। 

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