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"प्रशासनिक नियमों पर मानवता भारी"

"प्रशासनिक नियमों पर मानवता भारी"

:- मानवीय संवेदनाओं के आंगे दम तोड़ते कोरोना नियम,

:- भार वाहनों में माल नही,

:- प्रवासी लोगों का आवागमन जारी,

:- तस्वीरें देख होगा मानवीय दर्द का वास्तविक अहसास।

नियम बनाना आसान है परंतु उनका अनुपालन जमीनी स्तर पर सुनिश्चित कराना उतना ही मुश्किल होता है क्योंकि नियम मनुष्यों के लिये होते हैं और जब मनुष्य का पेट भूखा हो तो फिर सज़ा भी छोटी लगने लगती है।

कानपुर के चकेरी फ्लाई ओवर से गुजरने वाले ट्रकों को देखिये इन ट्रकों में सामान नही बल्कि इंसान लदे हैं और हर इंसान अपने गृह जनपद किसी भी तरह से पहुचना चाहता है क्योंकि उसे पता है कि उसकी जेब का धन समाप्त हो चुका है लेकिन पेट की आग अभी समाप्त होती नही दिख रही है। हर व्यक्ति का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ अपने घर पहुचना है। 

शासन ने कोरोना महामारी के चलते कड़े नियम लागू कर हिदायत दी है कि किसी भी भार वाहन पर ड्राइवर-कंडक्टर के अतिरिक्त अन्य कोई सवारी नही बैठ सकेगी लेकिन तस्वीरे साफ बया कर रही है कि नियम से बढ़कर मानवीय संवेदनायें है जिसके आंगे पुलिस कर्मी भी कुछ नही कर पा रहे क्योंकि कड़कती धूप में लोहे से तपती गाडियों में कोई ख़ुशी से नही बैठता बल्कि मजबूरी उसे इस जगह पर ले आई है जहां प्रशासनिक नियम से ज्यादा मानवीय संवेदनायें जरूरी दिख रही हैं। जिसके लिये खाकी भी बढ़-चढ़ कर यथासंभव जरूरत मंदो की भरपूर मदद कर रही है जो कि क़ाबिले तारीफ है।



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