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"कानपुर पुलिस का ईगो हुआ हर्ट,वरिष्ठ पत्रकार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज"



वरिष्ठ पत्रकार के विरुद्ध कानपुर पुलिस ने दर्ज की एफआईआर"

:- सच्चाई देख बौखलायी कानपुर पुलिस,

:- होमगार्डों के साथ भेद-भाव की खबर प्रकाशित करने पर दर्ज की एफआईआर,

:- प्रशासनिक शक्तियों का दुरप्रयोग कर रही कानपुर पुलिस,

:- प्रेस की स्वतंत्रता पर कानपुर पुलिस का कोठाराघाट।

प्रेस की स्वतंत्र आवाज को दबाने के लिये अक्सर प्रशासनिक अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरप्रयोग करते रहे हैं इसी कड़ी में अब कानपुर पुलिस ने भी बढ़-चढ़ कर अपनी उपस्थिती दर्ज करानी सुरु कर दी है कानपुर पुलिस अपनी शक्तियों का दुरप्रयोग अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिये कर रही है फिर चाहें उसे किसी भी हद तक जाना पड़े।

 मीडिया ब्रेक समाचार ने दिनांक 8 मई 2020 को कोरोना महामारी से जूझ रहे होमगार्डो की दुर्दशा पर खबर प्रकाशित करते हुये उजागर किया था कि किस तरह से अदृष्य कोरोना से बिना किसी बीमा कवच के होमगार्ड जूझते हुये ड्यूटी कर रहे हैं जबकि पुलिस कर्मियों को कोरोना महामारी की दृष्टिगत उत्तर प्रदेश शासन से बीमा सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। होमगार्डों और पुलिस कर्मियों के मध्य भेद-भाव की सच्चाई कानपुर पुलिस को नगवार गुजरी और कानपुर पुलिस के उच्च अधिकारियों के इसारे पर मीडिया ब्रेक समाचार पत्र के संपादक आशीष अवस्थी के विरुद्ध कानपुर दक्षिण क्षेत्र के बाबूपुरवा कोतवाली के कोतवाल राजीव सिंह की तहरीर पर शोशल मीडिया में खबर प्रसारित करने और कानपुर पुलिस की छवि धूमिल करने सहित अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।

अब हम आपको एक बार फिर होमगार्डों की जुबानी उनके दर्द ए करोना से रूबरू कराते हैं जिसको सुनने के बाद आप स्वयं समझ सकेंगे कि होमगार्डों के साथ किस तरह से भेद-भाव किया जा रहा है। 

 कानपुर पुलिस के द्वारा किया गया कृत्य प्रेस की स्वतंत्रता पर कोठाराघाट है कानपुर पुलिस फर्जी मुकदमा दर्ज करने में अपनी शक्ति क्षीण करने के बजाये यदि होमगार्डों की वेदना को समझते हुये उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करें तो ज्यादा बेहतर होगा। मीडिया ब्रेक हमेशा से ही तथ्य परख पत्रकारिता को बल देता रहा है और आंगे भी निडरता के साथ प्रशासन को आइना दिखाता रहेगा।

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