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"सवा करोड़ में KDA उपाध्यक्ष का पद चाहने वाला IAS हैं कौन"??

"सवा करोड़ में KDA उपाध्यक्ष का पद चाहने वाला IAS हैं कौन"??




:- कानपुर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष का पद क्यों चाहता था IAS ?

:- IAS की चाहत का क्या था मकसद ?

:- दलाल बिचौलिये के साथ IAS का नाम F.I.R. में क्यों नही ?

:- KDA उपाध्यक्ष पद के खरीददार IAS का नाम FIR में क्यों नही किया गया ओपन ?

:- भ्रष्ट IAS को बचाने के लिये खेल आख़िर क्यों ???




कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का पद वर्तमान में पिछले कई महीनों से रिक्त है इस पद पर अब से ठीक पहले किंजल सिंह काबिज़ थी जिन पर KDA उपाध्यक्ष पद पर रहते हुये कई बड़े घोटालों के आरोप लगे थे किंजल सिंह के तबादले के बाद से यह पद अतिरिक्त रूप से कानपुर ज़िला अधिकारी डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी संभाल रहे हैं लेकिन अब जो खुलासा उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने किया है उससे यह कहा जा सकता है कि कानपुर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के लिये IAS ऑफिसर अपनी काली कमाई का मुह खोल चुके हैं लेकिन STF के हांथ सिर्फ दलाल और बिचौलियों तक ही पहुच सके या फिर यू कहें कि IAS अधिकारी के रसूक के चलते जानबूझकर नाम सार्वजनिक नही किया गया ।






एसटीएफ उ0प्र0 के नेतृत्व में गठित टीम के समक्ष आरोपित पीयूष अग्रवाल कथित दलाल ने पूछताछ में बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता व डी डी न्यूज का फर्जी पत्रकार है वायरल हुई आडियो क्लिप के बारे में स्वीकार करते हुये STF अधिकारी को अवगत कराया कि आर्डियो क्लिप में उसके व कमलेश के मध्य हुई वार्ता है। पीयूष अग्रवाल गाज़ियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित श्रृष्टि अपार्टमेंट सोसाइटी का रहने वाला है इसी सोसाइटी में रहने वाले गौरीकान्त दीक्षित नामक व्यक्ति ने एक कथित IAS जो कि गौरीकान्त दीक्षित के बिजनेस पार्टनर कमलेश का रिश्तेदार है, को कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर आसीन कराने के लिये डील की थी यह डील सवा करोड़ रुपये में तय हुई थी जिसकी पहली किश्त बतौर 15 लाख रुपये अमलेश ने पीयूष अग्रवाल को दे दी थी पीयूष अग्रवाल डी डी न्यूज का पत्रकार बताकर अपने संबंधों के आधार पर कथित आईएएस अधिकारी को KDA उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने का दम भी भर चुका था लेकिन कोरोना लॉक डाउन ने उसकी सेटिंग पर पाबंदी लगा दी जिसकी वजह से वह लखनऊ के सिस्टम पर अपनी गोट फिट नही कर सका। बीतते समय के साथ भ्रष्ट IAS का सब्र भी जवाब देने लगा और अब भ्रष्ट IAS का रिश्तेदार पीयूष से अपनी टोकन मनी वापस मांगने लगा इसी कसमकश में कमलेश और पीयूष के मध्य डील का आर्डियो क्लिप सार्वजनिक हो गया जिसके बाद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार यूपी एसटीएफ ने पीयूष अग्रवाल को धर दबोचा और उसके साथ मध्यस्त गौरीकान्त सहित भ्रष्ट IAS के रिश्तेदार कमलेश के विरुद्ध लखनऊ जनपद के विभूतिखण्ड थाने में आईपीसी की धारा 420,467,468, 471,201,120बी भा0दं0वि0 व 66 आई0टी0 एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करा कर पीयूष अग्रवाल को सलाखों के पीछे भेज दिया है लेकिन इस पूरे खुलासे और दर्ज कराई गई एफआईआर में कथित भ्रष्ट IAS अधिकारी का नाम उजागर न होना बड़े सवालों को जन्म देता है क्योंकि जब STF ने ट्रांसफ़र पोस्टिंग के खेल से पर्दा उठा ही दिया है तो फिर काली कमाई से KDA उपाध्यक्ष का पद खरीदने की चाहत रखने वाले कथित सौदागर IAS के चहरे से नकाब भी उठाया जाना अतिआवश्यक था।

"विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से भी छुपा नही है ऐसे में योगी सरकार को चाहिये कि उत्तर प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों की जांच अपनी निगरानी में गठित कमेटी से कराये जिससे काली कमाई वाले बड़े मगरमच्छों तक वह सीधे पहुच सके और जनता के साथ अब तक हुये धोखे का सच सबके सामने आ सके"।





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