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साहब लारी का खेल जारी,उन्नाव के बाद कानपुर की बारी

कानपुर- साहब लारी का खेल जारी,उन्नाव के बाद कानपुर की बारी योगी सरकार की प्रशासनिक मशीन लारी गैंग के आंगे नतमस्तक माफ़िया लारी की यारी और गठजोड़ की कहानी.... माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ सौगंध उठा चुके हैं और अपने मुख से स्वयं माफियाओं की कमर तोड़ने का निर्देश प्रशासनिक अफसरानो को दे चुके हैं लेक़िन उत्तर प्रदेश में एक चर्चित कहावत है कि शिकायत चाहें आप पीएम या सीएम से कर आओ लेक़िन जांच तो दरोगा और लेखपाल ही करेंगे और जांच करने वाले साहिबानों ने ही तो माफियाओं को गोद लें रखा है। ये हैं कानपुर के जाजमऊ इलाके में रहने वाले लारी परिवार को रौशन करने वाले साहब लारी। साहब लारी को जल्द रहीश बनाना था इसके लिए साहब ने ज़मीनों में खेल करना शुरू कर दिया फ़िर सरकारी और गैर सरकारी तो छोड़िये जो भी ज़मीन उसके चंगुल में आई मानों कि उसे साहब निगल गया। साहब लारी जब भी किसी मामले में फसता तो उसके मददगार कोई और नहीं बल्कि जांच अधिकारी ही बन जाते। जांच अधिकारी ऐसा क्यों करते यह किसी से छुपा नहीं है। कानपुर के चर्चित माफ़िया पप्पू स्मार्ट,डॉ नसीम,सोलंकी ब्रदर्स सहित कुछ और लोगों के साथ साहब लारी ने कुछ ऐसा गठज़ोड किया कि कानपुर के आस पास के ज़िलों में वह चर्चित नाम हो गया फ़िर क्या था चर्चाओं में बने रहना साहब लारी की फितरत बन गई। धन बल बढ़ाने के लिए साहब ने उन्नाव जनपद के गंगा कटरी स्थित सरकारी ज़मीनों को बेंच डाला जब मामला खुला तो उन्नाव प्रशासन भी चौकन्ना हो गया। आनन फानन में उन्नाव की गंगाघाट कोतवाली में साहब लारी और उसके गिरोह के सदस्यों पर एफआईआर दर्ज कराते हुए भू माफ़िया घोषित कर दिया गया। जानकार बताते हैं कि साहब लारी को अरेस्ट करने के लिए उन्नाव पुलिस ने कानपुर कमिश्नरेट पुलिस से मदद मांगी थी लेक़िन उन्नाव और कानपुर पुलिस में साहब लारी के चहेते अफसरों ने खेल करते हुए मामला लीक कर दिया और साहब लारी पुलिसिया चंगुल से बच गया। सिर्फ़ उन्नाव ही नहीं बल्कि कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के थाने भी साहब लारी के चंगुल से अछूते नहीं रहे हैं कानपुर के पुलिस थानों में आगहे बागहे साहब लारी और उसके गुर्गो के विरुद्ध शिकायते आती रही हैं लेक़िन कार्रवाई करने के नाम पर पुलिस महज़ खाना पूर्ति करती रही है।

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