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मजदूरों की मजदूरी पर L&T (Larsen & Toubro) कंपनी का डांका

नवेली पॉवर प्लांट के सैकड़ों मजदूरों पर रोजी-रोटी का संकट....L&T कम्पनी छीन रही है मजदूरों का हक़ कानपुर के घाटमपुर सजेती क्षेत्र में नवेली पॉवर प्लांट निर्माण का कार्य वर्ष 2012 में सुरु हुआ था जो कि अब तक अधूरा ही है। इस पॉवर प्लांट के इंफ्राटेक्चर का निर्माण कराने का कांट्रेक्ट L&T कम्पनी को दिया गया था L&T कंपनी के अधिकारियों ने अपने ठेके को पेटी ठेकेदारों को कई हिस्सों में बाट दिया। पेटी ठेकेदार अपने मजदूरों से काम कराते रहे और अब आलम यह है कि L&T की पेटी ठेकेदार ROC कम्पनी अपने मजदूरो को अनाथ छोड़कर फ़रार हो गई है ROC कम्पनी को ठेका L&T कम्पनी ने दिया था ऐसे में जितनी जिम्मेदारी ROC पर बनती है उससे कहीं ज़्यादा L&T कम्पनी की है। प्रवासी मजदूरों का अपना कोई भी कानपुर शहर में नही है यह बिहार झारखण्ड उत्तरांचल जैसे प्रदेशों से नवेली पॉवर प्रोजेक्ट में मजदूरी करने के लिये लाये गए थे लेकिन अब आलम यह है कि यह मजदूर दाने - दाने को मोहताज़ हैं L&T कम्पनी के अधिकारियों ने इन मजदूरों की प्लांट में एंट्री भी बैन कर दी है मजदूरों का बकाया भुगतान करने के बजाए पैसों और रसूक कर बल पर उनको प्रताड़ित किया जा रहा है जिससे यह मजदूर ख़ामोशी से चुपचाप कानपुर शहर छोड़कर भाग जाये। मजदूरों की व्यथा समझने के बाद हम L&T कंपनी के HR मैंनेजर आर०बी०सिंह से उनका पक्ष जानने पहुचे तो RB सिंह ने बताया कि ROC कम्पनी L&T कंपनी का डेढ़ करोड़ रुपया लेकर फरार हो गई है हम पुलिस में भी लिखित तहरीर दे रहे हैं मजदूरों का कोई भी पैसा बकाया नही है मजदूर झूठ बोल रहे हैं। एक तरफ़ सैकडों प्रवासी मजदूर हैं जो अपनी मजदूरी मांग रहे हैं तो दूसरी तरफ L&T कॉरपोरेट कंपनी का HR मैनेजर RB सिंह हैं जो अपने को सही और मजदूरों को झूठा बता रहा है आपको बताते चले कि जब RB सिंह या फिर L&T कम्पनी द्वारा पुलिस को ROC कम्पनी के ख़िलाफ़ एफआईआर हेतु दी गई तहरीर के विषय में सजेती थाना अध्यक्ष नीरज बाबू से जानकारी की तो पता चला कि L&T की तरफ से कोई भी तहरीर ROC कम्पनी के विरुद्ध नही दी गई है। जिससे साफ़ पता चलता है कि L&T कंपनी के अधिकारी झूठ पर झूठ बोल रहे हैं नवेली पॉवर प्लांट से जुड़े सूत्र बताते हैं कि L&T कम्पनी के अधिकारी ही पेटी ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर मजदूरों की मजदूरी हड़प करते हैं न तो ROC कम्पनी भागी है और न ही ROC कम्पनी का कांट्रेक्टर। यह सब सोची-समझी साजिश के तहत पैसा कमाने का मात्र एक हथकंडा है जिसका शिकार मजदूरों को बनाया जा रहा है।

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