मलाई खाई KDA सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने भुगते अब जनता
मलाई खाने वाले KDA अधिकारी लेते रहे मौज अब पिस रही आज जनता
BACL से KDA की मिलीभगत न रही होती तो न उजड़ते गरीबों के आशियाने
बुल्डोजर चला BACL पर आशियाने ध्वस्त हुए बेगुनाहों के ।
BACL बिल्डर द्वारा की गई प्लाटिंग पर KDA का बुलडोजर चल चुका है और अब सैकड़ो बेघर हुए लोग सीएम योगी से लगाई न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का बुलडोजर थमने का नाम नहीं ले रहा है।उत्तर प्रदेश में माफियाओं और बाहुबलियों की अकूत अवैध संपत्ति के खिलाफ अभी तक प्रदेश सरकार का बुलडोजर जमकर चल रहा था। मगर अब चिटफंड कंपनियों के शिकार हुए लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ताजा मामला कानपुर के पहाड़पुर बिनगवां का है। जहां बी ए सी एल कंपनी के द्वारा जमीन अधिग्रहण कर 300 लोगों को 50 और 100 गज के प्लॉट बेचे गए थे।जिसमें डेढ़ सौ परिवार ऐसे थे कि जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई मकान बनवाने में लगा दी। मगर बीते सोमवार को कानपुर विकास प्राधिकरण का बुलडोजर लोगों की गृहस्थी पर चला और तकरीबन 80 मकानों को तोड़कर जमीदोष कर दिया गया। KDA अधिकारियों की तरफ से बचे हुए अन्य मकान मालिकों को भी नोटिस जारी करते हुए सख्ती से कहा गया है कि वह स्वयं उक्त मकानों छोड़ दे अन्यथा किसी भी दिन फिर से प्राधिकरण का बुल्डोजर चलेगा। इन भवनों में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने बीएसीएल कंपनी से इन प्लॉटों को खरीदा था। जिसकी रजिस्ट्री भी उनके पास मौजूद हैं। बेघर हुए लोग नौबस्ता बाईपास पर बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और उन्होंने न्याय की फरियाद लगाते हुए सीएम योगी से KDA की कार्रवाई को रोकने की मांग की है। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन भर की जमा पूजी प्लाट खरीदने में लगाई थी। मगर उन्हें अपने ही घर से अब बेघर किया जा रहा है
KDA अधिकारियों से जब पूछा गया तो उन्होंने बीएसीएल द्वारा बेची गई जमीन को सरकारी जमीन बताकर अतिक्रमण अभियान चला दिया है। वहीं क्षेत्रीय पार्षद मेनका सिंह सेंगर का कहना है कि अधिकारी आखिर उस वक्त कहां सो रहे थे जब BACL प्राइवेट कंपनी खुले आम लोगों को सरकारी जमीन बेच रही थी और उनकी रजिस्ट्री भी कराई जा रही थी। ऐसे में इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए और जो भी लोग दोषी हो उनके ऊपर कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। वही जिन लोगो के घर मकान गिराये गए है उन्हें मुआवजे के साथ साथ आवास भी मिलना चाहिए।
वास्तविकता तो यह है कि जब BACL कंपनी सरकारी जमीन को कब्जाकर अपनी भूमि बताते हुए आम जनता को उनके सपनों का आशियाना दर्शा कर जमीन रजिस्ट्री करते हुए बेच रही थी उस समय KDA सहित अन्य प्रशासनिक अफसर BACL जैसे भूमाफियाओं के साथ हम प्याले और निवाले बने थे भूमाफियाओं की कारगुजारी की शिकायत करने वालों को दलाल कह अपमानित किया जाता था क्योंकि भूमाफियाओं पर किसी न किसी सत्ताधारी का हांथ होता था।
योगी सरकार भले ही भूमाफियाओ द्वारा बसाई गई बस्तियों को ध्वस्त कर सख्ती का संदेश दे रही हो लेकिन सख्ती तो तभी समझ आएगी जब दोषी अफसरानों की संपत्ति कुर्क कर उनसे ऐसे बेघर हुए मजलूमों को आशियाने दिए जाये।
0 Comments