कानपुर:-
*लड़की के टुकडे टुकडे कर देंगे .... फैज ने दी थी धमकी।*
*2:33 सेकेंड के विजुअल से समझिए क्यों बढ़ता है फैज़ जैसे अपराधियों का मानोबल*
*नाबलिंग छात्रा के पिता ने फैज़ के विरुद्ध दर्ज़ कराई थी पहले भी एफआईआर*
*हद पार होने के बाद जागी पुलिस, फैज़ की अरेस्टिंग के लिए करनी पड़ी जद्दोजहद*
देश में जितनी तेजी से लव जेहाद के मामले बढ़ रहे हैं उससे कही ज्यादा तेज़ी सड़क छाप मजनुओ के हौसले बुलंद है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण कानपुर का फैज़ है।
कानपुर साउथ के नौबस्ता थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले Y ब्लाक किदवई नगर निवासी एक पिता ने अपनी नाबलिंग बेटी को फैज़ जैसे सड़क छाप मजनू से बचाने के लिए दिनांक 16 अक्तूबर 2022 को एफआईआर दर्ज़ कराई थी लेकिन कानपुर पुलिस को हमेशा की तरह किसी अनहोनी का इंतजार था शायद इसीलिए कानपुर पुलिस ने फैज़ जैसे सरफिरे आशिक़ को खुलेआम घूमने दिया।
नाबलिंग लड़की का पिता पुलिस की हीलाहवाली और सिरफिरे आशिक फैज़ की बढ़ती बत्तमीजियो से अजीज आ चुका था अत: मजूरन पिता ने अपनी बेटी का घर से बाहर निकलना बंद करा दिया।
लड़की के पिता की सख़्ती से सिरफिरे आशिक फैज़ का पारा सातवें आसमान में चढ़ जाता है और दिनांक 25 नवंबर को फैज़ लड़की के घर धमकता था इस दौरान उसने अपने हांथ में ब्लेड ले रखी थी ब्लेड से अपने ही हांथ में कट मारते हुए लड़की के घरवालों को धमकी दी कि वह उनकी लड़की से शादी करेगा अगर किसी ने रोका तो गोली मार देगा और लड़की को उठा ले जाएगा फिर उसके टुकड़े टुकड़े कर कहीं फेंक देगा।
फैज़ की धमकी से डरे पिता एक बार फिर मदद के लिए थाना नौबस्ता पुलिस की चौखट पर जा पहुंचते हैं फिर से लिखित तहरीर देते हुए फैज़ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज़ कराते हैं दिल्ली में हाल ही में हुए श्रद्धा कांड की पुलिस को याद आती है आनन फानन में उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी जाती है और फिर अति संवेदनसील मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र चमनगंज में पुलिस टीम सिरफिरे आशिक फैज़ को अरेस्ट करने जा पहुंचती है जहा उसे फैज़ को बढ़ावा देने वाले लोगो का सामना करना पड़ता है फैज़ की गिरफ्तारी न हो सके इसके लिए हर वह हथकंडा अपनाया जाता है जिससे पुलिस बैक फुट पर आ जाए। फैज़ की अरेस्टिंग न करने का दबाव बनाने के लिए पुलिस कर्मियों से एक महिला कुछ लोगो के साथ भिड़ जाती है आपसी खींच तान में महिला को धक्का लगता है और वह गिर जाती है इस घटना का प्रायोजित वीडियो शोशल मीडिया पर वायरल कर पुलिस को टारगेट करते हुए हमेशा की तरह विक्टिम कार्ड खेला जाता है लेकिन यह कोई नहीं बताता कि फैज़ की वास्तविक करतूत क्या थी और पुलिस क्यों उसे अरेस्ट कर रही थी।
ख़ास बात तो यह है कि अगर पुलिस ने पीड़ित पिता द्वारा लिखाई गई 16 अक्तूबर वाली एफआईआर पर ही एक्शन ले लिया होता तो शायद आज पीड़ित नाबालिग छात्रा को अपनी बधाई छोड़कर घर पर न बैठना पड़ता।
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