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जेल से निकलते ही इरफ़ान की आंखे ख़ोज रही थी अपने परिजनों को

कानपुर- जेल से निकलते ही इरफ़ान की आंखे ख़ोज रही थी अपने परिजनों को परिजनों से मिली इरफान की निगाहें तो हो उठे भावुक कैमरे इरफ़ान को कैद कर रहे थे तो इरफान जी भरकर अपने परिजनों को देखना चाहते थे जेल से निकलते ही इरफ़ान सोलंकी की नज़रे अपनी मां,बीबी, बच्चे पर पड़ी तो वह भावुक हो उठे। मीडिया के कैमरे इरफ़ान को कैद कर रहे थे तो वही इरफान की नज़रे अपनी परिजनों पर ही टिकी थीं। सरकारी फरमानों का पालन कर रहे खाकीधारियों ने भावुक इरफ़ान को अपने परिजनों को मन भर देखने भी न दिया और धक्का देकर सरकारी गाड़ी में बैठा दिया। इरफ़ान की मां अपने बेटे को अपनी बूढ़ी आंखो से ओझल होते हुए देख रही थी जो अब कानपुर जेल से लगभग 450 किमी० दूर महराजगंज जेल जा रहा था भावुक इरफ़ान की मां ने इस दौरान मीडिया कर्मियों से अपनी वेदना बताते हुए कहा कि उनके बेटे को यही कानपुर जेल में रहने दिया जाए। कहते हैं न कानून संवेदनाओं और भावनाओं से नहीं चलता उसे तो सिर्फ़ सबूत से मतलब होता है फिर ऐसे में मानवीय आंसुओ का भला कहा असर होने वाला था।

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