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पुलिस पैदा होने देती है मोहित बाजपेई जैसे गुंडे

कानपुर - पुलिस पैदा होने देती है मोहित बाजपेई जैसे गुंडे कानपुर कमिश्नरेट पुलिस पैदा कर रही अपराधी ? समय रहते मफ़िया पर लगाम लगाने की जगह पुलिस दे रही संरक्षण कभी गनर तो कभी फ़र्जी लाल बत्ती का शौखींन रहा है मोहित बाजपेई अवैध खनन की आड़ में मादक पदार्थो की तस्करी के भी लग चुके हैं गंभीर आरोप घाटमपुर पुलिस भेज़ चुकी है पिता पुत्र की जोड़ी को जेल जल्द अमीर बनने की चाहत में अक्सर लोग गलत राह पर चल पड़ते हैं रहीश बनने का शार्टकट इंसान को इतना नीचे गिरा देता है कि वह सही और गलत का फर्क करना ही भूल जाता है उसे दिखता है तो सिर्फ़ पैसा ! अथाह पैसा कमाने की चाहत ही मोहित बाजपेई जैसे लोगो को गंदे धंधे की तरफ घसीट लें जाती है। पिछले दिनों हमने आपको दिखाया था कि मोहित बाजपेई कैसे शहर में RTO, खनन अधिकारियों और पुलिस की सेटिंग से ट्रक के नंबरों पर कालिक पोतकर नंबर्स छुपाते ओवर लोड संदिग्ध ट्रकों का आवागमन करा रहा है इन्हीं हाइड नंबर्स वाले ट्रकों से खनिज परिवहन की आड़ में मादक पदार्थो की तस्करी करने के भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं। अब हम आपको मोहित बाजपेई के पैतृक गांव रामसारी से जुड़े कुछ तथ्य बताते हैं जिन्हें जानकार आप भी यह समझ सकेंगे कि यदि पुलिस मोहित बाजपेई जैसे शातिर अपराधी माइंड वालों का समय पर पुख्ता इलाज कर देती तो शायद आज वह बहुत से लोगो के लिए परेशानी का सबब न बनता। जी हां, घाटमपुर तहसील के पतारा ब्लाक अंतर्गत आने वाले रामसारी गांव निवासी रहे अजय उर्फ़ राजन बाजपेई के पुत्र मोहित बाजपेई पर गांव के ही रहने वाले एक युवक को अपहरण कर जान से मारने आदि का गंभीर आरोप लगा था जिसके बाद घाटमपुर पुलिस ने अजय उर्फ़ राजन बाजपेई सहित मोहित बाजपेई को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज़ दिया था जेल से जमानत पर छूटने पर भी पिता पुत्रों की अपराधिक गतिविधियां ज़ारी रहीं जिससे रामसारी गांव के ग्रामीणों में बाजपेई पिता पुत्रों के खिलाफ़ रोष बढ़ता जा रहा था ऐसे में अजय उर्फ़ राजन बाजपेई ने अपने परिवार के साथ रामसारी छोड़ने में ही भलाई समझी और कानपुर आकर रहने लगे। मोहित के अंदर धन बल की लालसा घर कर चुकी थी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मोहित ने पेशे से मौरंग व्यवसाईं व कानपुर की कैंट विधानसभा से बीजेपी विधायक का शागिर्द बन गया। माननीय की शागिर्दी और माननीय के पुत्र का साथ मोहित के अरमानों को परवान चढ़ाने के लिए काफ़ी था अब मोहित भी धीरे धीरे मौरंग के कारोबार में रमता जा रहा था क्योंकि रास्ते में जो भी अडचने आती उन्हें सत्तासीन विधायक और उनके पुत्र हिमांशु दूर कर देते जिसकी वजह से मोहित का मनोबल और बढ़ता गया आलम तो यह था कि विधायक की धौंस में मोहित अपनी स्कार्पियों कार में लाल बत्ती तक लगाने लगा था और इसी लाल बत्ती के बल पर वह मादक पदार्थो की तस्करी मार्ग पर चोरी छिपे चल पड़ा था जानकार तो यह तक बताते हैं कि रामसारी गांव में हुए अधिवक्ता हत्या कांड में इन्हीं पिता पुत्रों का किरदार था लेकिन सत्ताधारी परिवार का शागिर्द होने के चलते पुरे मामले से बच निकलने में पिता पुत्र सफल रहे। बढ़ते समय के साथ मौरंग कारोबारी विधायक की कुर्सी चली गई और पॉवर भी कम हो गया तो भला मोहित बिना पॉवर वाले नेता का चेला कैसे बना रह सकता था क्योंकि बिना पॉवर के अवैध कारोबार कैसे हो सकता हैं अतः मां भदौरिया जी से मोहित ने किनारा कर लिया और धीरे से पॉवर बैकअप के लिए हरि भजन में मुग्ध विधायक जी की शरण लें ली। ईश्वर की सेवा में लीन रहने वाले माननीय विधायक को शायद ही पता होगा कि उनके ही CUG नंबर का उपयोग कराकर यह शातिर माइंड अपराधी प्रवृति का मोहित बाजपेई पुलिसिया अधिकारियों की सख़्त कार्रवाई से बच जाता है जिसका खामियाज़ निर्दोष जनता को भुगतना पड़ता है।

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