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वेदों और पुराणों में हुआ यादववंशियो का उल्लेख

महाराज यदु से हुई थी यादव वंश की स्थापना यादव वंश में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म चंद्रवंशीय क्षत्रिय से भी जाना जाता है यादवों को आज हम ऐसे वंश के बारे में बात करेंगे जिसे एक वंश नही बल्कि संस्कृति कहना ठीक होगा । इस वंश का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है यादव वंश बहुत विशाल है । यादव जाति एक वैदिक जाति है । इनके वंशो का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है । विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथो के आधार पर चलिए इसे जानते है । भगवान ब्रह्मा के दस मानस पुत्र हुए उनमें से एक है ऋषि अतरी, ऋषि अतरी से चंद्रमा का जन्म हुआ और चंद्रमा से चंद्रवंश चला । इसलिए यादवों को चंद्रवंशीय क्षत्रिय भी कहा जाता है । चंद्रमा ने वृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया । जिससे उन्हें बुध नाम का पुत्र हुआ । बुध से पुरुरावास का जन्म हुआ । पुरुरावास से आयु का जन्म हुआ । इसके बाद आयु के पुत्र नहुस का जन्म हुआ। नहूस से छह पुत्र हुए । बड़े पुत्र यति सन्यासी हुए और दूसरे पुत्र ययाति राजा हुए । महाराज ययाति की दो रानियो थी उनसे उन्हें पांच पुत्र हुए । जिन्होंने संपूर्ण धरती पर राज किया और अपने कुल का दूर दूर तक विस्तार किया । ययाति के पुत्रों से समस्त वंश चले । पांच पुत्रों में से राजकुमार पुरू आगे चल कर पांडव हुए थे । सबसे बड़े पुत्र महाराज यदु से यादव वंश की स्थापना हुई । भगवान श्री कृष्ण का जन्म इसी वंश में हुआ । यदु के चार पुत्रों में से दूसरे पुत्र राजकुमार kroshta ने राज्य का अधिग्रहण किया और पहले यदुवंशी शासक बने । जिनकी 11 पीढ़ियां के बाद आए विधर्भ ।राजा विधर्भ ने दक्षिण विदर्भ राज्य की स्थापना को । विदर्भ के तीन पुत्रों में विदर्भ के बाद krath राजा बने । Krath करीब 20 पीढ़ी के बाद आए राजा सत्वता । जिनके छह पुत्रों में से दो ने तप किया । अंधक और वृष्णि । अधक वंश में आगे चलकर कंस का जन्म हुआ और वृष्णि वंश में श्री कृष्ण का जन्म हुआ । वृष्णी से देवामिधा का जन्म हुआ । देवमिधा से सुरसेन। सुरसेन से वासुदेव का जन्म हुआ । वासुदेव से श्री कृष्ण का जन्म हुआ । जब जब धर्म ने अधर्म का नाश करने की कोशिश की है । तब तब भगवान ने अवतार लिया है । श्री कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु ने मनुष्य बनकर अवतार लिया ।श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे अवतारों में से एक है ।

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