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कानपुर मड़ौली अग्निकांड: बिठूर में हुआ मां-बेटी का अंतिम संस्कार

*कानपुर* *कानपुर मड़ौली अग्निकांड: बिठूर में हुआ मां-बेटी का अंतिम संस्कार* *15 जनवरी को लेखपाल और प्रशासन ने बुलडोज़र द्वारा गिरा दिया था घर* *पारिवारिक जन और जानवरों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच गया था दीक्षित परिवार* *पारिवारिक रंजिश और लेखपाल की मिलीभगत से टूटा सपनों का घर* धूं धूं कर जलती यह मां बेटी की चिता आज चीख चीख कर शायद यही कह रही होगी कि क्या गल्ती थी मेरी और मेरी बेटी की जो आज हमें अपने परिवार से इतना दूर कर दिया की अब शायद मिलना मुमकिन ना हो सके कानपुर जिले में रूरा के मड़ौली गांव में कब्जा हटवाते समय आग लगने से जिंदा जलकर मौत के आगोश में आई मां बेटी के शव का अंतिम संस्कार आज बिठूर में किया गया घटना स्थल का दृश्य देख कर कोई भी अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाएगा चारों तरफ फैली राख और टूटा हुआ पानी का नल किनारे पर रखा हुआ एक सिलेंडर खूँटे से बंधी हुई गाय टूटी हुई चारपाई और उखड़ा हुआ शिवलिंग जहाँ प्रमिला के बेटे की शादी की पहली सालगिरह के लिए अखंड पाठ होने जा रहा था लेकिन किसे पता था इन खुशियो के बीच थोड़ी देर में मातम छाने वाला है अब बात करते है अखिर क्यूँ ये नौबत आ गयी की माँ बेटी को दर्दनाक तरीके से अपने परिवार से रुखसत होना पड़ा आपको बता दें कृष्ण गोपाल के अनुसार बीती 15 जनवरी को उनका पक्का घर लेखपाल अशोक कुमार चंदेल और पुलिस प्रशासन ने बुलडोज़र द्वारा गिरवा दिया था तब उनका पूरा परिवार अपने जानवरों और गृहस्थी के सामान सहित जिलाधिकारी नेहा जैन के कार्यालय पर पहुंच गया. लेकिन तब किसी ने कुछ नहीं कहा. यहां तक की एडीएम उन्हें मारने दौड़े थे और दबाव बना कर भगा दिया था. दीक्षित परिवार ने आरोप यह भी लगाया की यह सब खेल डीएम के इशारे पर हुआ है. हमारी यह जमीन 150 वर्ष पुरानी है. देखिए कैसे रोती बिलखती प्रमिला दीक्षित अपनी झोली फैलाए हुए रहने के ठिकाने की मांग कर रही है लेखपाल पर घूसखोरी का आरोप लगाते हुए गाँव के ही कुछ पारिवारिक जनों की मिलीभगत की बात बतायी लेकिन उसे क्या पता था कि इन सब में उसकी और उसकी बेटी की ही बली चढ जाएगी अब सवाल जिलाधिकारी महोदया नेहा जैन से है की कलेक्टर साहेबा क्या आपने इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा अगर समझा होता और मामले को अपने संज्ञान में लेकर कोई उचित कार्यवाही की होती तो शायद आज एक माँ बेटी की चिता अपने ही झोपड़े में ना जलती

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