कानपुर देहात में क्यों हो रहे कांड दर कांड ?
आखिरकार क्यों मदांद हैं कानपुर देहात के अफसर ?
बलवंत सिंह हत्या कांड लोगों के जहन से उतरा भी न था कि मां -बेटी की जल कर मौत से दहल उठा जनपद कानपुर देहात
उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर से जुडा विशुद्ध ग्रामीण जिला कानपुर देहात पिछले कुछ समय से चर्चाओं में बना हुआ है कानपुर देहात में कांड अपराधी नहीं कर रहे बल्कि प्रशासनिक अफसर कर रहें हैं बीते चंद माह पूर्व बलवंत सिंह को ज़िलें के पुलिस वालों ने 3rd डिग्री देकर मार डाला था मृतक के परिजनों ने जब बावाल करना शुरू किया तो लखनऊ में हुक्मरानो की नींद टूटी आनन फानन में एसओजी प्रभारी सहित थाना अध्यक्ष सब इंस्पेक्टर और सिपाहियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस द्वारा बलवंत की नृशांस हत्या के अपराधिक कृत्य में शामिल एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी जेल भेजे गए थे बलवंत हत्या कांड अभी तक लोगों के जहन से उतरा भी नहीं था कि कानपुर देहात के रूरा थाना अंतर्गत आने वाले मडौली गांव में प्रशासनिक अफसरों के उन्माद ने प्रमिला दीक्षित और उसकी बेटी नेहा दीक्षित की बलि ले ली। कानपुर देहात के प्रशासनिक अफसर उच्च अधिकारियों के निर्देश पर टीम गठितकर बुलडोज़र के साथ भूमि को कब्ज़ा मुक्त कराने कराने पहुचे थे इस दौरान दीक्षित परिवार ने विरोध करते हुए अपने झोपड़े का दरवाज़ा बंद कर लिया। पुलिस कर्मियों ने दरवाजे को खुलवाया और फिर इसी मध्य झोपड़े में आग लग गई आग किसने लगाई यह तो अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन इसी आग ने मां प्रमिला दीक्षित और बेटी नेहा दीक्षित को अपने आगोश में ले लिया। जिन सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों पर आम जनता की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी थी वह जलते झोपड़े पर बुलडोज़र चलवाने में मशगूल दिखे किसी ने भी आग की लपटो में घिरी मां बेटी को बचाने की जहमत नहीं उठाई जब भीड़ उग्र हुई तो प्रशासनिक अफसर अपने वाहनों को छोड़कर ख़ुद भाग खड़े हुए।
कानपुर देहात की जनता एक बार फिर सूबे के मुखिया महाराज योगी आदित्यनाथ की तरफ़ वेदना भरी निगाहों से न्याय के लिए निहार रही है और पूँछ रही है कि साहब बुलडोज़र चलना जरुरी था या फिर आग की लपटो में घिरी प्रमिला और नेहा को बचाना ?? जिन्हें अब कभी वापस नहीं लाया जा सकता।
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