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कानपुर का रेगिस्तान देखिए .....

कानपुर का रेगिस्तान देखिए ..... गंगा की दुर्दशा का जिम्मेदार आख़िर कौन? गंगा की जलधारा रोककर किसे फ़ायदा पहुंचाया जा रहा. आख़िरकार प्रकृति से खिलवाड़ क्यों नहीं किया जा रहा बंद। मार्च का महीना शुरू हो चुका है और इसी के साथ गर्मी की सुरुवात भी जोरदार तरीके से हो चुकी है कानपुर सहित गंगा के किनारे बसने वाले ज्यादातर शहर वासियों की प्यास बुझाने का मुख्य श्रोत गंगा नदी ही है इसी नदी के पानी क़ो जल संस्थान फ़िल्टर कर पाइप लाइनों के माध्यम से लोगों के घरों तक पहुंचाता है। जरा इन तस्वीरों क़ो देखिए यह तस्वीरें राजस्थान के मरुस्थल की नहीं है बल्कि कानपुर की है जी हां, गंगा नदी के तट पर बसे कानपुर का यह नज़ारा है जिसे शायद ही अब तक आपने देखा होगा। कानपुर के गंगा बैराज से शहर की तरफ बहने वाली गंगा की मुख्य धारा क़ो बैराज़ के चैनल से रोक दिया गया है जिसकी वजह से गंगा नदी का पाट जो सामान्य दिनों में एक किमी रहता है वह अब महज़ 100 से 150 मीटर का ही रह गया है या फ़िर यूं कहें कि नाले के आकार में बदल गई है। सूखी पड़ी गंगा के पाट पर अब लोग सैर सपाटा कर रहें है और मोटर साईकिल में फर्राटा भरते आसानी से दिखाई दे जाएंगे। जी हां,यह बाइक कहीं और नहीं बल्कि गंगा के रेतीले पाट पर दौड़ाई जा रही है। अब जरा गंगा बैराज़ के दूसरे हिस्से पर नज़र डालिए यह है नवनिर्मित वोट क्लब जी हां, वोट क्लब! जिस पर रहीशघरों के लोग मोटर वोट में बैठकर फर्राटा भर आनंदित होते है यहां पर पानी बिलकुल भी कम नहीं होना चाहिए क्योंकि अगर पानी कम हुआ तो रहिशों के आनंद में खल्ल पड़ जाएगी। तो फ़िर अब तो आप भी समझ ही गए होंगे कि मामूली फायदे के लिए प्रकृति से खिलवाड़ करना अधिकारियों की आदत बन गई है जिसका खामियाज़ा आने वाले दिनों में कानपुर की जानता पानी की किल्लत के रूप में भुगतेगी।

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